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छलका प्याला / शशि पुरवार

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होठों पर मुस्कान सजाकर
हमने, ग़म की
पी है हाला।

ख्वाबों की बदली परिभाषा
जब अपनों को लड़ते देखा
लड़की होने का ग़म, उनकी
आँखों में है पलते देखा

छोटे भ्राता के आने पर
फिर ममता का
छलका प्याला।

रातो रात बना है छोटा
सबकी आँखों का तारा
झोली भर-भर मिली दुआए
भूल गया घर हमको सारा

छोटे के
लालन-पालन में
रंग भरे सपनो की माला।

बेटे-बेटी के अंतर को
कई बार है हमने देखा
बिन मांगे, बेटा सब पाये
बेटी मांगे, तब है लेखा

आशाओ का
गला घोटकर
अधरो, लगा लिया है ताला।