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"छुपाकर कोई काम करते नहीं हैं / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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छुपाकर कोई काम करते नहीं हैं
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मगर सबसे हर बात कहते नहीं हैं
  
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ख़ुदा ने बहुत कुछ हमें भी दिया है
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किसी की तरक़्क़ी से जलते नहीं हैं
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गुमाँ होगा अपने उन्हें इल्मो फ़न पर
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सरल बात पर वो समझते नहीं हैं
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हमारी अदा साफ़गोई हमारी
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ग़ज़ल भी इशारों में कहते नहीं हैं
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बहुत लोग दुनिया में ऐसे पड़े हैं
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जगाते रहेा पर वो जगते नहीं हैं
 
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00:09, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण

छुपाकर कोई काम करते नहीं हैं
मगर सबसे हर बात कहते नहीं हैं

बड़ा नाज़ है हमको अपनी अना पर
हुकू़मत के आगे भी झुकते नहीं हैं

ख़ुदा ने बहुत कुछ हमें भी दिया है
किसी की तरक़्क़ी से जलते नहीं हैं

गुमाँ होगा अपने उन्हें इल्मो फ़न पर
सरल बात पर वो समझते नहीं हैं

हमारी अदा साफ़गोई हमारी
ग़ज़ल भी इशारों में कहते नहीं हैं

बहुत लोग दुनिया में ऐसे पड़े हैं
जगाते रहेा पर वो जगते नहीं हैं