भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

छोटी किरण / भावना कुँअर

1,479 bytes added, 12:52, 18 जुलाई 2018
<poem>
मेरा आस्तित्वबहुत ही बौना है ।बड़ी हस्तियाँजाने क्या हैं चाहतीजहाँ मैं जाऊँवहीं पहुँच जातीं ।अदना - सी हैबस मेरी तो ख्याति ।फिर भी क्यों वोहै उनको डराती?छोटी किरणहाथ में लेकर मैंअपने लिये छोटा- सा रोशनी काप्यारा -सा गाँवभावों की इक झीलनन्हे-नन्हे- सेविचारों के कमलखु़शबू -भरीप्रेम से सराबोरशब्दों की आत्मातैराना हूँ चाहती ।पर जाने क्योंबना दी जाती,बड़ीमुश्किल औरकँटीली राहें मेरीबस बीनतीएक-एक काँटे कोबना लेती हूँजोड़के इक घर।आश्वस्त हूँ मैं आ ना पाए कोई भीकाँटों से डर।न मैं मज़बूर हूँन ही कलमअब न बिखरेगीन ही टूटेगीबेधड़क होकरदौड़ेगी ये कलम।
</poem>