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"जब तेरा दर क़रीब होता है / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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खूब दर्शन नसीब होता है!
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और दिल के करीब होता है
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प्यार कितना ग़रीब होता है
 
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01:50, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


जब तेरा दर क़रीब होता है
हाल दिल का अजीब होता है

शाम झुकती है इन लटों की किधर!
कौन वह ख़ुशनसीब होता है!

आये जब ताब देखने की नहीं
ख़ूब दर्शन नसीब होता है!

दूर नज़रों से जा रहा है कोई
और दिल के क़रीब होता है

सामने उनके मुँह सिये हैं गुलाब
प्यार कितना ग़रीब होता है