भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
सिर्फ़ आँखों में खून मिलता है।
रात कुछ पल को मून मिलता है।
कहीं भत्ता भी मिल रहा दूना,
कहीं वेतन भी न्यून मिलता है।
</poem>