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सिर्फ़ आँखों में खून मिलता है।
रोज रोज़ सूरज से लड़ रहा हूँ तब,
रात कुछ पल को मून मिलता है।
कहीं भत्ता भी मिल रहा दूना,
कहीं वेतन भी न्यून मिलता है।
</poem>
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