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"ज़बाँ सुख़न को, सुख़न बाँकपन को तरसेगा / नासिर काज़मी" के अवतरणों में अंतर

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ज़बाँ सुख़न को सुख़न बाँकपन को तरसेगा
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ज़बाँ सुख़न को सुख़न बाँकपन को तरसेगा <br>
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नये प्याले सही तेरे दौर में साक़ी
सुख़नकदा मेरी तर्ज़-ए-सुख़न को तरसेगा <br><br>
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ये दौर मेरी शराब-ए-कोहन को तरसेगा  
  
नये प्याले सही तेरे दौर में साक़ी <br>
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मुझे तो ख़ैर वतन छोड़ के अमन न मिली
ये दौर मेरी शराब--कोहन को तरसेगा <br><br>
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उन्हीं के दम से फ़रोज़ाँ हैं मिल्लतों के चराग़
वतन भी मुझ से ग़रीब-उल-वतन को तरसेगा <br><br>
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ज़माना सोहबत-ए-अरबाब--फ़न को तरसेगा  
  
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बदल सको तो बदल दो ये बाग़बाँ वरना
ज़माना सोहबत-ए-अरबाब--फ़न को तरसेगा <br><br>
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ये बाग़ साया-ए-सर्द--समन को तरसेगा  
  
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हवा-ए-ज़ुल्म यही है तो देखना एक दिन  
ये बाग़ साया-ए-सर्द-ओ-समाँ को तरसेगा <br><br>
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ज़मीं पानी को सूरज किरन को तरसेगा <br><br>
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18:09, 10 अगस्त 2009 के समय का अवतरण

ज़बाँ सुख़न को सुख़न बाँकपन को तरसेगा
सुख़नकदा मेरी तर्ज़-ए-सुख़न को तरसेगा

नये प्याले सही तेरे दौर में साक़ी
ये दौर मेरी शराब-ए-कोहन को तरसेगा

मुझे तो ख़ैर वतन छोड़ के अमन न मिली
वतन भी मुझ से ग़रीब-उल-वतन को तरसेगा

उन्हीं के दम से फ़रोज़ाँ हैं मिल्लतों के चराग़
ज़माना सोहबत-ए-अरबाब-ए-फ़न को तरसेगा

बदल सको तो बदल दो ये बाग़बाँ वरना
ये बाग़ साया-ए-सर्द-ओ-समन को तरसेगा

हवा-ए-ज़ुल्म यही है तो देखना एक दिन
ज़मीं पानी को सूरज किरन को तरसेगा