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"ज़िन्दगी को यों ही भरमाया किये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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गीत ये छू उनके होठों के गुलाब
 
गीत ये छू उनके होठों के गुलाब
सादगी में भी गज़ब ढाया किये
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सादगी में भी ग़ज़ब ढाया किये
 
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09:51, 2 जुलाई 2011 का अवतरण


ज़िन्दगी को यों ही भरमाया किये
प्यार को सपनों से बहलाया किये

प्यार धोखा ही सही पर, आपसे
हम ये धोखा भी कभी खाया किये

दे गयी हर साँस कोई दुःख नया
जन्म लेने की सज़ा पाया किये

'वह भी तो होंगे किसी के प्यार में'
बेकली को दिल की समझाया किये

एक ही शीशे का दिल था, जिसको हम
लेके हर पत्थर से टकराया किये

सर झुका लेते हैं अब कुछ सोचकर
नाम सुनकर जो तड़प जाया किये

कोई यों लगता है हरदम चल रहा
मेरे सर पर प्यार की छाया किये

गीत ये छू उनके होठों के गुलाब
सादगी में भी ग़ज़ब ढाया किये