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"ज़िन्दगी ख़्वाबे-परीशाँ है कोई क्या जाने / जोश मलीहाबादी" के अवतरणों में अंतर
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20:46, 25 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
ज़िन्दगी ख़्वाबे-परीशाँ है कोई क्या जाने
मौत की लरज़िशे-मिज़्गाँ है कोई क्या जाने
रामिश-ओ-रंग<ref>संगीत और रंग</ref> के ऐवान में लैला-ए-हयात
सिर्फ़ एक रात की मेहमाँ है कोई क्या जाने
गुलशने-ज़ीस्त के हर फूल की रंगीनी में
दजला-ए-ख़ूने-रगे-जाँ है कोई क्या जाने
रंग-ओ-आहंग से बजती हुई यादों की बरात
रहरवे-जादा-ए-निसियाँ<ref>भूले हुए रास्तों का राही</ref> है कोई क्या जाने
शब्दार्थ
<references/>