भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़िन्दगी तनहा सफ़र की रात है / जाँ निसार अख़्तर
Kavita Kosh से
Anupama Mishra (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:24, 16 मार्च 2012 का अवतरण ('ज़िंदगी तनहा सफ़र की रात है अपने–अपने हौसले की बात ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
ज़िंदगी तनहा सफ़र की रात है
अपने–अपने हौसले की बात है
किस अकीदे की दुहाई दीजिए
हर अकीदा आज बेऔकात है
क्या पता पहुँचेंगे कब मंजिल तलक
घटते-बढ़ते फ़ासले का साथ है
अकीदा = श्रद्धा
बेऔकात = प्रतिष्ठाहीन