भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जादू / निज़ार क़ब्बानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दुनिया भर के बच्चों को

सिखला दिया है मैंने
तुम्हारे नाम का उच्चारण
और चेरी के वृक्ष में
परिवर्तित हो गए हैं उनके होंठ ।

मैंने हवा से कहा
कि वह कंघी फेर दे
तुम्हारे घने काले बालों में
उसने मना कर दिया
और कहा :

वक्त बहुत कम है
और बहुत... बहुत लम्बे हैं तुम्हारे बाल ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह