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"जिन्दगी / चंद ताज़ा गुलाब तेरे नाम / शेरजंग गर्ग" के अवतरणों में अंतर

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बेवजह जी रहे हैं, यह सच है
 
बेवजह जी रहे हैं, यह सच है
 
और जीने में लुत्फ ख़ास नहीं
 
और जीने में लुत्फ ख़ास नहीं

18:01, 4 सितम्बर 2018 के समय का अवतरण

बेवजह जी रहे हैं, यह सच है और जीने में लुत्फ ख़ास नहीं मौत को ही गले लगा लें, पर ज़िन्दगी इस कदर उदास नहीं। </poem>