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"जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना / शबीना अदीब" के अवतरणों में अंतर
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अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में, अभी मोहब्बत नई-नई है। | अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में, अभी मोहब्बत नई-नई है। | ||
− | अभी न आएँगी नींद | + | अभी न आएँगी नींद तुमको, अभी न हमको सुकूँ मिलेगा |
− | अभी तो धड़केगा दिल | + | अभी तो धड़केगा दिल ज़ियादा, अभी मुहब्बत नई नई है। |
बहार का आज पहला दिन है, चलो चमन में टहल के आएँ | बहार का आज पहला दिन है, चलो चमन में टहल के आएँ | ||
− | फ़ज़ा में | + | फ़ज़ा में ख़ुशबू नई नई है गुलों में रंगत नई नई है। |
− | जो खानदानी रईस हैं वो | + | जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना, |
तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है। | तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है। | ||
− | ज़रा सा | + | ज़रा सा क़ुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ़ में |
अभी क्यों उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है। | अभी क्यों उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है। | ||
− | बमों की बरसात हो रही है, पुराने जांबाज़ सो रहे | + | बमों की बरसात हो रही है, पुराने जांबाज़ सो रहे हैं |
ग़ुलाम दुनिया को कर रहा है वो जिसकी ताक़त नई नई है। | ग़ुलाम दुनिया को कर रहा है वो जिसकी ताक़त नई नई है। | ||
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13:16, 17 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फ़त नई-नई है,
अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में, अभी मोहब्बत नई-नई है।
अभी न आएँगी नींद तुमको, अभी न हमको सुकूँ मिलेगा
अभी तो धड़केगा दिल ज़ियादा, अभी मुहब्बत नई नई है।
बहार का आज पहला दिन है, चलो चमन में टहल के आएँ
फ़ज़ा में ख़ुशबू नई नई है गुलों में रंगत नई नई है।
जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज रखते हैं नर्म अपना,
तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है।
ज़रा सा क़ुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ़ में
अभी क्यों उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है।
बमों की बरसात हो रही है, पुराने जांबाज़ सो रहे हैं
ग़ुलाम दुनिया को कर रहा है वो जिसकी ताक़त नई नई है।