भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जो लगि राम नाम नहिं चीना / संत जूड़ीराम" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संत जूड़ीराम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
23:00, 28 जुलाई 2016 के समय का अवतरण
जो लगि राम नाम नहिं चीना।
जैसे नार पिया बिना डोलत रहत सकल विधि हीना।
ऐसई जगत भगत बिन व्याकुल बेजल तलफत मीना।
भयो विहाल जाल जग ग्रहनों सब विध भयो अधीना।
नाम बिना बेस्वारत जग में जोग जग्य तप कीना।
मन बिन विकल भुजंग भुलानो भई तासु गत दीना।
बेसुगंध को फूल अजब रंग आद अंत पर पीना।
जूड़ीराम भजन बिन देही वृक्ष भयो जग जीना।