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"जो सर को उठाना नहीं छोड़ सकता / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'" के अवतरणों में अंतर
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वो सपने सजाना नहीं छोड़ सकता ! | वो सपने सजाना नहीं छोड़ सकता ! | ||
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इसे आज़माना नहीं छोड़ सकता ! | इसे आज़माना नहीं छोड़ सकता ! | ||
22:12, 25 जून 2010 के समय का अवतरण
जो सर को उठाना नहीं छोड़ सकता ,
उसे ये ज़माना नहीं छोड़ सकता !
हक़ीक़त करे लाख इन्सां को रुसवा ,
वो सपने सजाना नहीं छोड़ सकता !
बदलना मुकद्दर नहीं है जो मुमकिन
इसे आज़माना नहीं छोड़ सकता !
ख़ुदा का लिखा है यकीनन कि इन्सां ,
बहाने बनाना नहीं छोड़ सकता !
है दिल तो वो धोखा भी खा कर रहेगा ,
परिन्दा है दाना नहीं छोड़ सकता !