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झंडा / अनिता भारती

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योग्यता
प्रतिभा
स्पर्धा
प्रतिस्पर्धा
और अंत में
जुगाली भरे मुँह से
उच्चारित
आरक्षण-भक्षण की बातें

खेत में हल चलाते
कारखाने में पसीना बहाते
या फिर
तुम्हारी गंदगी ढोते
जूते गांठते
तब कहाँ है तुम्हारी
योग्यता
प्रतिभा
स्पर्धा
प्रतिस्पर्धा

अपने अर्धनग्न बेशर्म
रिवाजों में
खुद को घसीटते
क्या जानो तुम
योग्यता
प्रतिभा
स्पर्धा
और आरक्षण के मायने

साथी,
एक झंडा है तुम्हारा
योग्यता स्पर्धा प्रतिभा के
झूठे थोथे बेरंगों से बना
एक झंडा है हमारा नीला
अब हमारे झंडे को
आकाश में लहराना ही होगा