भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

झूंठ की जमात जुरी पाप अधिकारी जहाँ / शिवदीन राम जोशी

Kavita Kosh से
Kailash Pareek (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:40, 15 जून 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna | रचनाकार=शिवदीन राम जोशी | }} {{KKCatChhand}} <poem> झूंठ क...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

झूंठ की जमात जुरी पाप अधिकारी जहाँ,
                          महन्त है पाखंड चन्द टोली घुरावे हैं |
कपट की विभूति लोगन को बांटि-बांटि,
                          अकड़-अकड़ बैठे चतुर सभा में कहावें हैं |
क्रोधिन की कमाना को सफल करत व्यभिचारी,
                          असंगत उटपटांग काम अपना बनावे है |
कहता शिवदीन कलिकाल में प्रपंच फैल्यो,
                       ऐसे जो असंत महन्त मोजां उड़ावें हैं |