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"ठाकै बण्टा टोकणी (पनघट-गीत) / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर

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'''पनघट का गीत<br>'''
 
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ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो ।<br>
 
ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो ।<br>
 
कुएँ पै कोई ना,एक परदेसी छोहरा …<br>
 
कुएँ पै कोई ना,एक परदेसी छोहरा …<br>
-पाणी वाळी पाणी पिला दे ,तुझै देखकै आया हो<br>
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पाणी वाळी पाणी पिला दे, तुझै देखकै आया हो<br>
 
हो इन बागों के मैं नींबू और केळे –सी मिलाई…<br>
 
हो इन बागों के मैं नींबू और केळे –सी मिलाई…<br>
ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो।<br>
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ठायकै बंटा टोकणी, कुएँ पै आई हो।<br>
-पाणी तो मैं जभी पिलाऊँ, माँज टोकणी ल्यावै<br>
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पाणी तो मैं जभी पिलाऊँ, माँज टोकणी ल्यावै<br>
 
हो मेरी सुणता जइए बात बता दूँगी सारी हो…<br>
 
हो मेरी सुणता जइए बात बता दूँगी सारी हो…<br>
 
बाबुल तो मेरा छाँव मैं बैट्ठा<br>
 
बाबुल तो मेरा छाँव मैं बैट्ठा<br>
 
अम्मा दे रही गाळी हो<br>
 
अम्मा दे रही गाळी हो<br>
हो मेरी भावज लड़ै लड़ाई ,इतनी देर कहाँ लाई ।<br>
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हो मेरी भावज लड़ै लड़ाई, इतनी देर कहाँ लाई ।<br>
ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो<br>
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ठायकै बंटा टोकणी, कुएँ पै आई हो<br>
-ना तेरा बाबुला छाँव मैं,ना तेरी अम्मा दे गाळी हो  
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हो ना तेरी भावज लड़ै<br>
 
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हो मेरी गूँठी ले जा<br>
 
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चल तेरी यही है निशानी, <br>
 
चल तेरी यही है निशानी, <br>
ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो ।<br>
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ठायकै बंटा टोकणी, कुएँ पै आई हो।<br>
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15:36, 19 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

पनघट का गीत
ठायकै बंटा टोकणी ,कुएँ पै आई हो ।
कुएँ पै कोई ना,एक परदेसी छोहरा …
पाणी वाळी पाणी पिला दे, तुझै देखकै आया हो
हो इन बागों के मैं नींबू और केळे –सी मिलाई…
ठायकै बंटा टोकणी, कुएँ पै आई हो।
पाणी तो मैं जभी पिलाऊँ, माँज टोकणी ल्यावै
हो मेरी सुणता जइए बात बता दूँगी सारी हो…
बाबुल तो मेरा छाँव मैं बैट्ठा
अम्मा दे रही गाळी हो
हो मेरी भावज लड़ै लड़ाई, इतनी देर कहाँ लाई ।
ठायकै बंटा टोकणी, कुएँ पै आई हो
-ना तेरा बाबुला छाँव मैं, ना तेरी अम्मा दे गाळी हो हो ना तेरी भावज लड़ै
हो मेरी गूँठी ले जा
चल तेरी यही है निशानी,
ठायकै बंटा टोकणी, कुएँ पै आई हो।