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"तमाशा / मनीष मूंदड़ा" के अवतरणों में अंतर

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15:39, 21 मार्च 2020 के समय का अवतरण

मेरी गुरबत का तमाशा बना,
मैं खुद को
तलाशता हूँ।
मेरी खुशियों का अलाव बना,
मैं खुद को तलाशता हूँ।
मेरी उड़ानों के पर काट कर
मैं खुद को तलाशता हूँ
मेरी आँखों को नम कर
मैं खुद को तलाशता हूँ
क्यूँ तलाशता हूँ
नहीं खबर मुझे
पर मैं खुद को तलाशता हूँ।