भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
तुम आये याद हमेशा ही रौशनी की तरह / आरती कुमारी
Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:05, 18 अक्टूबर 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आरती कुमारी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
तुम आये याद हमेशा ही रौशनी की तरह
ये और बात कि मिलते हो अजनबी की तरह
न कोई फूल न तितली न कोई रंगे हयात
है आज ज़ीस्त भी तस्वीरे बेकसी की तरह
तुम्हारी याद में सावन की तरह रोती हूँ
न सूख जाएं ये आँखें किसी नदी की तरह
मैं घर को लौट रही हूँ कि शाम ढलने लगी
वो कल का दिन भी गुज़ारा था आज ही की तरह
कब आओगे कि उतारूँ तुम्हारा सदक़ा मैं
कि जल रही हूँ शबो रोज़ आरती की तरह