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"तुम तजि और कौन पै जाऊं / भजन" के अवतरणों में अंतर

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तुम तजि और कौन पै जाऊं ।
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काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं ॥
  
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ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं <br><br>
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अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं
  
ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं <br>
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रंक अयाची कियू सुदामा दियो अभय पद ठाऊं
अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं <br><br>
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कामधेनु चिंतामणि दीन्हो कलप वृक्ष तर छाऊं
  
रंक अयाची कियू सुदामा दियो अभय पद ठाऊं ।<br>
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भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं ।
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भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं ।<br>
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कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ॥
 
कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ॥
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20:07, 17 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

तुम तजि और कौन पै जाऊं ।
काके द्वार जाइ सिर नाऊं पर हाथ कहां बिकाऊं ॥

ऐसो को दाता है समरथ जाके दिये अघाऊं ।
अंतकाल तुम्हरो सुमिरन गति अनत कहूं नहिं पाऊं ॥

रंक अयाची कियू सुदामा दियो अभय पद ठाऊं ।
कामधेनु चिंतामणि दीन्हो कलप वृक्ष तर छाऊं ॥

भवसमुद्र अति देख भयानक मन में अधिक डराऊं ।
कीजै कृपा सुमिरि अपनो पन सूरदास बलि जाऊं ॥