भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम शिकायत से ही मिला करते / अंजनी कुमार सुमन

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता ५ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:40, 30 अप्रैल 2023 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अंजनी कुमार सुमन |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

तुम शिकायत से ही मिला करते
पीठ पीछे न यूँ गिला करते

दर्द देने से पहले कह देते
हम भी जख्मों को इत्तिला करते

जो गुलाबों से दिल लगाते हैं
हैं बदन भी वही छिला करते

दोष होता है उसमें पानी का
पेड़ ऐसे नहीं हिला करते

छोड़ देने से फिर भी बेहतर है
हम फटे रिश्तों को सिला करते