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Kavita Kosh से
कुछ तो इस दर्दभरे दिल को क़रार आ जाये
तेरे खुशबू ख़ुशबू से है तर बाग़ का पत्ता-पत्ता
क्यों न फिर हमको हरेक फूल पे प्यार आ जाये!