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थारौ पतियारौ / अशोक जोशी 'क्रांत'

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थारौ पतियारौ
पत्तै सूं रळकतै
ओस री बूंदां रौ
गुलाब माथै ठैरणो।

थारौ पतियारौ
हथळेवा री मैंदी
रंग-रस रौ
हथेळियां माथै राचणौ।

थारौ पतियारौ
छूवता पाण
छुई-मुई रै पौधा रौ
खुदौ-खुद में सिमटणौ।

थारौ पतियारौ
भोमियाजी रै थान
खिली धूप री साख में
अेकी रौ आखौ अंवारणौ।

थारौ पतियारौ
धजा रा लीरा नै
टोकार सूं बचण सारू
कलाई माथै बांधणौ।