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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

दरना दरू बाई, गाऊ मऽ माता-पिता
आऊर गाऊ मऽ राम-सीता।
दरना मऽ दरू, दरू चार गहूँ।
राज करजो मऽरोऽ भाऊ।
दरना मऽ दरू, दरू मऽ कनकी पीट
मऽराऽ माहेर को मुंग्या जीट।।
पंढरपुर की विðल रूखमाई
फुतरी डोरा मऽ दिखाई।।
रूखमाई ते आँगन मऽ
पानी भरय वा राँजन मऽ
दूरऽ सी देखू मऽ मऽराऽ भाई की चाल
डाया हाथ मऽ दिखाय झोला, लाल-लाल।।