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दर्द औरों का दिल में गर रखिए / दरवेश भारती
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दर्द औरों का दिल में गर रखिए
बेग़रज़ हो के उम्र-भर रखिए
हो ही जायेंगी मुश्किलें आसान
अक़्ल-सा एक राहबर रखिए
पाँव ठहरें ख़याल चलते रहें
एक ऐसा भी तो सफ़र रखिए
सब हवाई क़िले दिखाते हैं
कुछ किसी की न आस पर रखिए
इसके दम से है आबरू का वुजूद
अपने किरदार पर नज़र रखिए
हो इशारा कि बह सके न हवा
आँख में इतना तो असर रखिए
दोस्ती में है शर्त ये 'दरवेश'
ज़िक्र मैं-तू का ताक़ पर रखिए