भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दर्द बढ कर फुगाँ ना हो जाये / जिगर मुरादाबादी

Kavita Kosh से
हेमंत जोशी (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:24, 3 मई 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दर्द बढ़ कर फुगाँ1 ना हो जाये

ये ज़मीं2 आसमाँ3 ना हो जाये


दिल में डूबा हुआ जो नश्तर4 है

मेरे दिल की ज़ुबाँ5 ना हो जाये


दिल को ले लीजिए जो लेना हो

फिर ये सौदा6 गराँ7 ना हो जाये


आह8 कीजिए मगर लतीफ़-तरीन9

लब तक आकर धुआँ10 ना हो जाये

1. फुगाँ : lamentation; 2. ज़मीं : earth; 3. आसमाँ : sky 4. नश्तर : dagger; 5. ज़ुबाँ : voice 6. सौदा : bargain; 7. गराँ : costly 8. आह : sigh; 9. लतीफ़-तरीन : pleasant; 10. धुआँ : smoke