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"दिन गीत-गीत हो चला / सोम ठाकुर" के अवतरणों में अंतर

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एक क्षण तुम्हारे ही मीठे सन्दर्भ का,
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एक क्षण तुम्हारे ही मीठे सन्दर्भ का
 
सारा दिन गीत -गीत हो चला
 
सारा दिन गीत -गीत हो चला
  
फ़ैसले लगे मन से देह तक
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फ़ैलने लगे मन से देह तक
चाँदनी - कटे साए राह के ,
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चाँदनी - कटे साए राह के  
 
अजनबी निगाहो ने तय किए
 
अजनबी निगाहो ने तय किए
 
फ़ासले समानांतर दाह के
 
फ़ासले समानांतर दाह के
 
अग्नि - झील तक हम को ले गई
 
अग्नि - झील तक हम को ले गई
जोड़ भरे गुलाबों की श्रंखला .
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जोड़ भरे गुलाबों की शृंखला
  
 
तोड़ कर घुटने वाले दायरे
 
तोड़ कर घुटने वाले दायरे
एक प्यास शब्दों तक आ गई ,
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एक प्यास शब्दों तक आ गई  
कंधों पर मारुथल ढोते हुए
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कंधों पर मरुथल ढोते हुए
हरी गंध प्राणो पर छा गई ,
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हरी गंध प्राणो पर छा गई
 
पलभर में कोई तुम से सीखे
 
पलभर में कोई तुम से सीखे
मन को फागुन करने की कला .
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मन को फागुन करने की कला  
सारा दिन गीत- गीत हो चला .
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11:36, 24 फ़रवरी 2012 के समय का अवतरण

एक क्षण तुम्हारे ही मीठे सन्दर्भ का
सारा दिन गीत -गीत हो चला

फ़ैलने लगे मन से देह तक
चाँदनी - कटे साए राह के
अजनबी निगाहो ने तय किए
फ़ासले समानांतर दाह के
अग्नि - झील तक हम को ले गई
जोड़ भरे गुलाबों की शृंखला

तोड़ कर घुटने वाले दायरे
एक प्यास शब्दों तक आ गई
कंधों पर मरुथल ढोते हुए
हरी गंध प्राणो पर छा गई
पलभर में कोई तुम से सीखे
मन को फागुन करने की कला