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"दिल हमें देखकर कुछ देर को धड़का होता / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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दो घड़ी रुक के कभी हाल तो पूछा होता
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हमको भूलोगे नहीं, सच है, मगर कहते वक्त
 
हमको भूलोगे नहीं, सच है, मगर कहते वक्त

03:09, 7 जुलाई 2011 का अवतरण


दिल हमें देखकर कुछ देर को धड़का होता
तुम किसी और के होते भी अगर, क्या होता!

हम भी सीने में तड़पता हुआ कुछ रखते थे
दो घड़ी रुकके कभी हाल तो पूछा होता

हमको भूलोगे नहीं, सच है, मगर कहते वक्त
अपना चेहरा कभी शीशे में भी देखा होता!

दिल में कुछ और भी यादों की कशिश बढ़ जाती
तुम जो मिलते भी तो आखिर यही रोना होता

जानते हम ये हवा रास न आयेगी, गुलाब!
भूलकर भी न क़दम बाग़ में रखा होता!