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"दिल हो गया है जबसे टूटा हुआ खिलौना / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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दुनिया लगे है तब से टूटा हुआ खिलौना।
 
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खेले न कोई इससे, फेंके न कोई इसको,
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खेले न इस से कोई, फेंके न कोई इसको,
 
यूँ ही पड़ा है कब से टूटा हुआ खिलौना।
 
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बेटा बड़ा हुआ तो यूँ चूमता हूँ उसको,
 
बेटा बड़ा हुआ तो यूँ चूमता हूँ उसको,
अकसर लगाऊँ लब से टूटा हुआ खिलौना।
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अक्सर लगाऊँ लब से टूटा हुआ खिलौना।
  
बच्चा गरीब का है रक्खेगा ये सँजोकर,
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बच्चा ग़रीब का है रक्खेगा ये सँजोकर,
 
देना जरा अदब से टूटा हुआ खिलौना।
 
देना जरा अदब से टूटा हुआ खिलौना।
  
‘सज्जन’ कहे यकीनन होंगे अनाथ बच्चे,  
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‘सज्जन’ कहे यक़ीनन होंगे अनाथ बच्चे,
 
जो माँगते हैं रब से टूटा हुआ खिलौना।
 
जो माँगते हैं रब से टूटा हुआ खिलौना।
 
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10:04, 26 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

दिल हो गया है जब से टूटा हुआ खिलौना।
दुनिया लगे है तब से टूटा हुआ खिलौना।

खेले न इस से कोई, फेंके न कोई इसको,
यूँ ही पड़ा है कब से टूटा हुआ खिलौना।

बेटा बड़ा हुआ तो यूँ चूमता हूँ उसको,
अक्सर लगाऊँ लब से टूटा हुआ खिलौना।

बच्चा ग़रीब का है रक्खेगा ये सँजोकर,
देना जरा अदब से टूटा हुआ खिलौना।

‘सज्जन’ कहे यक़ीनन होंगे अनाथ बच्चे,
जो माँगते हैं रब से टूटा हुआ खिलौना।