भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

दुनिया अब हमज़ात नहीं है / मोहम्मद इरशाद

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:19, 19 अप्रैल 2011 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= मोहम्मद इरशाद |संग्रह= ज़िन्दगी ख़ामोश कहाँ / म…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


दुनिया अब हमज़ात नहीं है
जीते है वो बात नहीं है

ख़्वाब सुनहरे आये कैसे
पुरसूकु कोई रात नहीं है

भीग के जिसमें मन ये गाये
पहले सी बरसात नही है

सदियों के हैं रिश्ते अपने
दो दिन की मुलाकात नहीं है

मिलता है ‘इरशाद’ सभी से
उसकी कोई ज़ात नही है