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"दुश्मन दावादार है / शिशुपाल सिंह यादव ‘मुकुंद’" के अवतरणों में अंतर

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कभी छिपाए छिप ना सकता,बोझिल पापाचार है  
 
कभी छिपाए छिप ना सकता,बोझिल पापाचार है  
 
पाकिस्तान हिन्द से लड़कर,आज हुआ नापाक है  
 
पाकिस्तान हिन्द से लड़कर,आज हुआ नापाक है  
सिंह साथ लड़ना गीदड़ का . सचमुच बेकार है  
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सिंह साथ लड़ना गीदड़ का ,सचमुच बेकार है  
 
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निराधार है यवन सैन्य अब, रहा न कुछ भी सार है  
 
निराधार है यवन सैन्य अब, रहा न कुछ भी सार है  
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बच्चा- बच्चा भारत मां का, सच्चा पहरेदार है ,
 
बच्चा- बच्चा भारत मां का, सच्चा पहरेदार है ,
 
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कहाँ शत्रु की वह हस्ती है . उसकी कहाँ बाहर है  
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कहाँ शत्रु की वह हस्ती है,उसकी कहाँ बाहर है  
 
कहाँ हजार बरस लड़ने की,भुट्टो की ललकार है  
 
कहाँ हजार बरस लड़ने की,भुट्टो की ललकार है  
 
पाकिस्तान लिए कर झोली,दर-दर मारा फिरता है  
 
पाकिस्तान लिए कर झोली,दर-दर मारा फिरता है  
 
त्राहिमाम अब त्राहिमाम अब,इसकी यही पुकार है  
 
त्राहिमाम अब त्राहिमाम अब,इसकी यही पुकार है  
 
5.
 
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लुटा चुका अय्यूब खान निज . खुशियों का त्यौहार है  
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लुटा चुका अय्यूब खान निज,खुशियों का त्यौहार है  
 
गुमसुम सुस्त कराची एकदम,ठप्प सभी कारोबार है  
 
गुमसुम सुस्त कराची एकदम,ठप्प सभी कारोबार है  
चीन बेशर्म के झांसे में . पाक हुआ वीरान है  
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चीन बेशर्म के झांसे में ,पाक हुआ वीरान है  
 
वतन -परस्ती यवन भूलते, वे तो  सब गद्दार है  
 
वतन -परस्ती यवन भूलते, वे तो  सब गद्दार है  
 
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12:46, 24 मई 2019 के समय का अवतरण

1.
तानाशाही शासन जन का,पा सकता क्या प्यार है
कभी छिपाए छिप ना सकता,बोझिल पापाचार है
पाकिस्तान हिन्द से लड़कर,आज हुआ नापाक है
सिंह साथ लड़ना गीदड़ का ,सचमुच बेकार है
2.
निराधार है यवन सैन्य अब, रहा न कुछ भी सार है
न तो बुद्धि है और न बल है, खाता रह-रह मार है
लानत मिया अय्यूब शान पर, चोरी वह करवाता है
चोरो की नजरों में दिखता, हरदम कारागार है
3.
सान दिया है खुद भारत ने, तलवारों पर धार है
मस्ती मिटी पाक की अब तो,सभी तरह बेजार है
हैरत में है ब्रिटिश- अमरीका,लख भारत बेजोड़ है
बच्चा- बच्चा भारत मां का, सच्चा पहरेदार है ,
4.
कहाँ शत्रु की वह हस्ती है,उसकी कहाँ बाहर है
कहाँ हजार बरस लड़ने की,भुट्टो की ललकार है
पाकिस्तान लिए कर झोली,दर-दर मारा फिरता है
त्राहिमाम अब त्राहिमाम अब,इसकी यही पुकार है
5.
लुटा चुका अय्यूब खान निज,खुशियों का त्यौहार है
गुमसुम सुस्त कराची एकदम,ठप्प सभी कारोबार है
चीन बेशर्म के झांसे में ,पाक हुआ वीरान है
वतन -परस्ती यवन भूलते, वे तो सब गद्दार है