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धार लगा कर सब आवाजें, आरी करनी हैं / ऋषभ देव शर्मा

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धार लगाकर सब आवाजे़ं आरी करनी हैं
एक बड़े जलसे की अब तैयारी करनी है

फुलझड़ियों से खेल रहे वे आग नहीं जाने
अँधियारे तहख़ानों में बमबारी करनी है

ब्लैक-होल डसते जाते हैं सूरजमुखियों को
अस्थिचूड़ देकर पीढ़ी उजियारी करनी है

हर कुर्सी पर जमे हुए हैं मार्कोंस, यारो !
न्यायालय में नंगी हर मक्कारी करनी है