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नआई देऊ, गजल एकान्तमा
नखोस् खुशीको पल एकान्तमा
आएर तिमी भत्काई दिन्छौ
उभ्याएको भव्य महल एकान्तमा
तिम्रो हाजिरीमा एकनास मेरो
भैरहेको शान्तिमा खलल एकान्तमा
सबै खोसेर खाली हात बनायौ
ज्यूँदै छ अझै आत्मबल एकान्तमा
कहाँ गई अब गुनासो म पोखूँ
पीडाको यो रहलपहल एकान्तमा