भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नइहर वाली लाड़ो माथे चाँद चमके / मगही
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:43, 28 जुलाई 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatMagahiR...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मगही लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
नइहर वाली लाड़ो माथे चाँद चमके।
अम्माँ वाली लाड़ो माथे चाँद चमके॥1॥
माँगे लाड़ो के टीका सोभे, मोतिया की झलक देखा री लाड़ो।
अम्माँ पेयारी लाड़ो माथे चाँद चमके॥2॥
नाके लाड़ो के बेसर सोभे, चुनिया<ref>माणिक या लाल का छोटा टुकड़ा, छोटा नग</ref> अजब बिराजे लाड़ो।
नथिया अजब बिराजे लाड़ो, माथे चाँद चमके॥3॥
काने लाड़ो के बाली<ref>कान का एक आभूषण</ref> सोभे, झुमके की झलक देखा री लाड़ो।
कनपासा<ref>कान का एक आभूषण</ref> की झलक देखा री लाड़ो, माथे चाँद चमके॥4॥
जाने<ref>कमर में</ref> लाड़ो के सूहा<ref>विशेष प्रकार की छापेवाली लाल रंग की साड़ी</ref> सोभे, छापे की झलक देखा री लाड़ो।
छापा अजब बिराजे लाड़ो, माथे चाँद चमके।
भइया पेयारी लाड़ो, माथे चाँद चमके॥5॥
शब्दार्थ
<references/>