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"नदी का थमेगा भटकना / सुरेन्द्र डी सोनी" के अवतरणों में अंतर

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12:01, 17 अगस्त 2020 के समय का अवतरण

सीता को
किसने दिया था
हँसने किसने सुना था
उसके मौन को

एक नदी ही थी
जिसने जाना उसे
तभी तो
भटकती है वह
आज भी
पगली-सी

घण्टियाँ
अजानें
मन्दिर
मसजिद
न हों अगर...
दूत
बिचौलिए
सब छोड़ जाएँ अयोध्या
तो वहाँ की
गलियों में खेलते
बच्चों के साथ मिलकर
ढूँढ़ ही लेगी वह
सीता को

नदी का थमेगा
अगर भटकना
तो गूँगी अयोध्या भी
होगी मुखर..
देखना एक दिन !