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"नदी की कहानी / कन्हैयालाल नंदन" के अवतरणों में अंतर

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नदी की कहानी कभी फिर सुनाना,
 
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बड़ा जानलेवा है ये दरमियाना
 
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मुहबत का अंजाम हरदम यही था
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मुहब्बत का अंजाम हरदम यही था
भवर देखना कूदना डूब जाना।
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भँवर देखना कूदना डूब जाना।
  
 
अभी मुझ से फिर आप से फिर किसी  
 
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मियाँ ये मुहबत है या कारखाना।
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मियाँ ये मुहब्बत है या कारखाना।
  
 
ये तन्हाईयाँ, याद भी, चान्दनी भी,  
 
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गज़ब का वज़न है सम्भलके उठाना।
 
गज़ब का वज़न है सम्भलके उठाना।
 
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10:26, 1 सितम्बर 2013 के समय का अवतरण

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नदी की कहानी कभी फिर सुनाना,
मैं प्यासा हूँ दो घूँट पानी पिलाना।

मुझे वो मिलेगा ये मुझ को यकीं है
बड़ा जानलेवा है ये दरमियाना

मुहब्बत का अंजाम हरदम यही था
भँवर देखना कूदना डूब जाना।

अभी मुझ से फिर आप से फिर किसी
मियाँ ये मुहब्बत है या कारखाना।

ये तन्हाईयाँ, याद भी, चान्दनी भी,
गज़ब का वज़न है सम्भलके उठाना।