भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नव भाव नव चेतना / भास्करानन्द झा भास्कर

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:50, 11 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=भास्करानन्द झा भास्कर |अनुवादक= |...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नव भाव नव चेतना,
नव रश्मिक नवल कल्पना।
नव गगन नव ऊड़ान
नव ऊर्जा संग तन मन प्राण।।

नव पल्लव नव वॄक्ष
सगरो सुगंधित अन्तरीक्ष।
नव उरोज नव इजोत,
सहर्ष पांखिसं उड़ैत खद्योत।।

नव प्रेम नव आलिंगन,
नव काया नव धवल यौवन।
नव आकर्षण नव स्पर्श,
नव सुवासित मनद्वय संघर्ष॥

नव रात्रि रक्ताभ भोर
नभ भास्कर नव भाव विभोर।
नव गीतल मग्न मनन,
मन मोदित तिरपित द्वयनयन॥