"नहीं वाद कोई यहां निर्विवादित / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'" के अवतरणों में अंतर
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करें आप स्वछन्द चिन्तन न कुंठित | करें आप स्वछन्द चिन्तन न कुंठित |
07:45, 5 जून 2010 का अवतरण
नहीं वाद कोई यहां निर्विवादित
कि प्रतिवाद हर वाद करता अनिश्चित
करें आप स्वछन्द चिन्तन न कुंठित
कि ऐसे किसी का नहीं हो सका हित
जहां मानसिक ग्रन्थियों की शिलाएं
वहां ज्ञान विकसित न होगा कदाचित
स्वंय पर न अंकुश कभी लग सके तो
करें फिर किसी और को भी न बाधित
सदाचार करता सदा अंत तम का
अनाचार से कब हुआ वो पराजित
रहें टूटती रूढियां सब पुरातन
तभी शाश्वत सत्य होगा स्थापित
सकल जग सभासद असल नृप निरंजन
करेगा प्रलय काल प्रस्ताव पारित