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"नान्हाज् बड़ा साजनबठ्या, बठ्या बड़ा हताई रे / पँवारी" के अवतरणों में अंतर

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पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

नान्हाज् बड़ा साजनबठ्या, बठ्या बड़ा हताई रे
ओमऽ बठ्यो समदी गण्डिया बहुत करय बड़ाई रे।।
धोतीज छोड़ी ओनऽली चवड़ मास बहुत भई हसाई रे
रोंढा गांव की नन्दी मऽते किच्चड़ बह्या, बही गाय रे।।
नान्हाज बड़ा साजन बठ्या बठ्या बड़ा हताई रे।।