भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"नूपुर बँधे चरण संध्या के नूपुर बँधे चरण / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह=नूपुर बँधे चरण / गुलाब खंडेलवाल | |संग्रह=नूपुर बँधे चरण / गुलाब खंडेलवाल | ||
}} | }} | ||
− | [[category: | + | [[category: गीत]] |
<poem> | <poem> | ||
नूपुर बँधे चरण संध्या के नूपुर बँधे चरण | नूपुर बँधे चरण संध्या के नूपुर बँधे चरण | ||
− | सागर की लहरों पर थिरक- | + | सागर की लहरों पर थिरक-थिरककर |
नाच रही है किरण-बालिका थर-थर | नाच रही है किरण-बालिका थर-थर | ||
पिछल रहीं जल पर चंचल पगतलियाँ | पिछल रहीं जल पर चंचल पगतलियाँ | ||
पंक्ति 19: | पंक्ति 19: | ||
लो खाली हो गया लुढ़ककर मधु-घट | लो खाली हो गया लुढ़ककर मधु-घट | ||
फैली अरुण वारुणी शून्य डगर में | फैली अरुण वारुणी शून्य डगर में | ||
− | फिरते चारों ओर मधुप पक्षी ढूँढ़ते शरण | + | फिरते चारों ओर मधुप-पक्षी ढूँढ़ते शरण |
टिकीं सदा यौवन-रँगरलियाँ किनकी! | टिकीं सदा यौवन-रँगरलियाँ किनकी! | ||
पंक्ति 26: | पंक्ति 26: | ||
कभी व्योम पर नाची प्रभुता जिनकी | कभी व्योम पर नाची प्रभुता जिनकी | ||
दशों दिशाओं में निर्भय तम-शिशु करते विचरण | दशों दिशाओं में निर्भय तम-शिशु करते विचरण | ||
+ | |||
नूपुर बँधे चरण संध्या के नूपुर बँधे चरण | नूपुर बँधे चरण संध्या के नूपुर बँधे चरण | ||
<poem> | <poem> |
02:30, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
नूपुर बँधे चरण संध्या के नूपुर बँधे चरण
सागर की लहरों पर थिरक-थिरककर
नाच रही है किरण-बालिका थर-थर
पिछल रहीं जल पर चंचल पगतलियाँ
मुक्त पवन में उड़ता अंचल फरफर
श्याम अलक, पलकें मद-लोहित, मुख छवि पीत-वरण
ले तारों के स्वर्णिम प्याले कर में
बाँट रही वह दूर-दूर अंबर में
लो खाली हो गया लुढ़ककर मधु-घट
फैली अरुण वारुणी शून्य डगर में
फिरते चारों ओर मधुप-पक्षी ढूँढ़ते शरण
टिकीं सदा यौवन-रँगरलियाँ किनकी!
याद शेष है अब केवल उस दिन की
सिसक रही तम-गुहा, धरा-अंचल में
कभी व्योम पर नाची प्रभुता जिनकी
दशों दिशाओं में निर्भय तम-शिशु करते विचरण
नूपुर बँधे चरण संध्या के नूपुर बँधे चरण