भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नृपति उदास है / अरविन्द श्रीवास्तव

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:46, 8 सितम्बर 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नृपति उदास है
उसकी बेटी ने
आज कोई कत्ल नहीं किया

रक्त से आचमन
ड्राइंग कक्ष में
चांद-सितारों को क़ैद नहीं किया

वाद्य यंत्रों की धुनाई,
मौसमों को
पिंजरे में बंद नहीं किया
विरासती फ़ौजों का
‘ऑनर‘ नहीं लिया

खलबली है नृपतंत्र में
कल बेटी
कामग़ारों की बस्ती क्यों गई

नहीं आ रही
भुने हुए काजू की ख़ुशबू
आज उसके
गू से !