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पंजड़ो टियों / लीला मामताणी

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आउं जा हलंदसि लाल ते, सच जा पेर भरे।
मन मुरादूं पूरियूं मुंहिंजूं, लालु वेठो कम करे।
ओ दर्शन थियड़मि लाल जा, मुंहिंजा वियड़ा पाप परे॥

1.
दूलह अमर तुंहिंजी लगन भरी।
कलंगी थी तुंहिंजी खूब खिले।
रहंदो तुंहिंजो हीरनि जड़ियो
मंझिसि अमरु वेठो मौज करे।
लालु वेठो मौजी मौज करे॥
ओ दर्शन थियड़मि लाल जा, मुंहिंजा वियड़ा पाप परे॥

2.
जोतियूं जे जॻाइनि सचे लाल ते।
जंहिं जो वाहर वरणु अचे।
अंदर उपति मां दर्शन थियड़मि
मन जी सांति सां ॿझे
ओ दर्शन थियड़मि लाल जा, मुंहिंजा वियड़ा पाप परे॥
(अठई पहर अमर जी, आहेमि तन में ताति
ॾातरु ॾींदुमि ॾाति, त मिले सुखु सुहाॻ जो)