भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पतझड़ समय में / स्वाति मेलकानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=स्वाति मेलकानी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

13:09, 26 अगस्त 2017 के समय का अवतरण

यथार्थ के धरातल पर
बिखरते जीवन को
पिरोना
समय की माला में
मोतियों की तरह
कैसे होगा उदासीन
या आत्ममुग्ध
सतही क्षणों के बीच।
चिंतन के सूत
और
कर्म की तकली में काता
सरोकार का मजबूत धागा
कहाँ मिलेगा?...
संवेदना की
कपास का पेड़
सूख रहा है
पतझड़ समय के
उष्ण शीत में।