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01:13, 28 जनवरी 2008 का अवतरण
पयाम आये हैं उस यार-ए-बेवफ़ा के मुझे
जिसे क़रार न आया कहीं भुला के मुझे
नशे से कहूँ तो नहीं याद-ए-यार का आलम
के ले उड़ा है कोई दोश पर हवा के मुझे
जुदाइयाँ हों तो ऐसी कि उम्र भर न मिले
फ़रेब तो दो ज़रा सिलसिले बढा़ के मुझे
मैं ख़ुद को भूल चुका थ मगर जहाँ वाले
उदास छोड़ गये आईना दिखा के मुझे