भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

परछाईं / कैत्रिओना नी क्लेअरचिन / राजेश चन्द्र

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:17, 29 नवम्बर 2020 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैत्रिओना नी क्लेअरचिन |अनुवादक=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कवि नहीं हूँ मैं
मात्र एक परछाईं
दिवसों और गलियों से गुज़रती
निर्वाक और निश्शब्द

एक हवा
शाम की
सौम्य और शान्त
एक रोशनी बची-खुची दिनान्त की

बारिश की बूँदें गिरतीं चुपचाप जो

कवि नहीं हूँ मैं, मात्र एक परछाईं
नृत्यरत किसी भीत पर
अगिनरात्रि में
समेटती हुई रहस्यों को

इससे पहले कि भाग जाएँ शब्द
संगीत से रहित मेरे हृदय से

अँग्रेज़ी से अनुवाद : राजेश चन्द्र