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"पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइए / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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मुँह पर भले ही बेरुखी हमसे दिखाइए | मुँह पर भले ही बेरुखी हमसे दिखाइए | ||
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मुस्कान नहीं होठों पर, आँखें भरी-भरी | मुस्कान नहीं होठों पर, आँखें भरी-भरी |
01:56, 25 जून 2011 का अवतरण
पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइए
फिर जो भी सुनाना हो, खुशी से सुनाइए
ख़ुशबू न वह मिटेगी जो दिल में है बस गयी
जाकर कहीं भी प्यार की दुनिया बसाइए
पलकों की ओट में कोई दिल भी है बेक़रार
मुँह पर भले ही बेरुखी हमसे दिखाइए
कुछ मैं भी अपने आप को धीरज सिखा रहा
कुछ आप भी तो ख़ुद को तड़पना सिखाइए
मुस्कान नहीं होठों पर, आँखें भरी-भरी
सौ बार आइये मगर ऐसे न आइए
उड़िए सुगंध बनके हवाओं में अब, गुलाब!
निकले हैं बाग़ से तो ग़ज़ल में समाइए