"पहिला दरद जब आयल सासु के बोलबल हे / मगही" के अवतरणों में अंतर
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=मगही |रचनाकार=अज्ञात |संग्रह= }} {{KKCatSohar}}...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 25: | पंक्ति 25: | ||
अब पिया पास हम जयबो, पिया के बोला देहु हे॥8॥ | अब पिया पास हम जयबो, पिया के बोला देहु हे॥8॥ | ||
</poem> | </poem> | ||
+ | {{KKMeaning}} |
16:11, 11 जून 2015 के समय का अवतरण
पहिला दरद जब आयल सासु के बोलबल हे।
सासु, मिलि लेहु बाड़ा छछन<ref>अभाव जनित अतृप्ति के बाद की तृप्ति अथवा अत्यन्त व्याकुल भाव से</ref> से, बाड़ा ललक से हे॥1॥
अब सोंठ पीपर नहीं पीबो, पियरी<ref>पीली साड़ी</ref> ना पेन्हबो हे।
पिया के सेज न जायबो, पिया के सुध लीहट तूँहीं॥2॥
दूसरा बेदन जब आयल, गोतनी के बोलावल हे।
गोतनी, मिलि लेहु बाड़ा छनन से, बाड़ा ललक से हे॥3॥
अब सोंठ पीपर नहीं पीबो, पियरी ना पेन्हबो हे।
पिया के मुँह न देखबो, पिया मन बोधिहऽ तूंहीं॥4॥
तेसरा बेदन जब उठल, ननद के बोलावल हे।
ननदो, मिलि लेहु बाड़ा छछन से, बाड़ा ललक से हे॥5॥
अब सोंठ पीपर नहीं पीबो, पियरी न पेन्हबो हे।
पिया सँग अब न सुतबों, सुतिहऽ अब तूँहीं॥6॥
चउठा दरद जब आयल, जलमल नंदलाल हे।
अब त सासु हम जीली<ref>जी गई</ref> छछन से, जीली ललक से हे॥7॥
अब सोंठ पीपर हम पीबो, पियरी हम पेन्हबो हे।
अब पिया पास हम जयबो, पिया के बोला देहु हे॥8॥