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"पानी का सारा गुस्सा जब पी जाता है बाँध / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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दरिया को बाँहों में लेकर बतियाता है बाँध।
 
दरिया को बाँहों में लेकर बतियाता है बाँध।
  
नदी चीर देती चट्टानों का सीना लेकिन,
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चट्टानों का सीना देती चीर नदी लेकिन,
बँध जाती जब दिल माटी का दिखलाता है बाँध।  
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बँध जाती जब दिल माटी का दिखलाता है बाँध।
  
 
पत्थर सा तन, मिट्टी सा दिल, मन हो पानी सा,
 
पत्थर सा तन, मिट्टी सा दिल, मन हो पानी सा,
 
तब जनता के हित में कोई बन पाता है बाँध।
 
तब जनता के हित में कोई बन पाता है बाँध।
  
जन्म, बचपना, यौवन इसका देखा इसीलिए,  
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उद्भव, बचपन, यौवन इसका देखा इसीलिए,
 
सपनों में अक्सर मुझसे मिलने आता है बाँध।
 
सपनों में अक्सर मुझसे मिलने आता है बाँध।
  

17:09, 24 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

पानी का सारा गुस्सा जब पी जाता है बाँध।
दरिया को बाँहों में लेकर बतियाता है बाँध।

चट्टानों का सीना देती चीर नदी लेकिन,
बँध जाती जब दिल माटी का दिखलाता है बाँध।

पत्थर सा तन, मिट्टी सा दिल, मन हो पानी सा,
तब जनता के हित में कोई बन पाता है बाँध।

उद्भव, बचपन, यौवन इसका देखा इसीलिए,
सपनों में अक्सर मुझसे मिलने आता है बाँध।

मरते दम तक साथ नदी का देता है तू भी,
तेरी मेरी मिट्टी का कोई नाता है बाँध।