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प्यार लिख लेना भले तलवार लिख देना / पूजा श्रीवास्तव

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प्यार लिख लेना भले तलवार लिख देना
बात को इस पार या उस पार लिख देना

जब यकीं ही न रहा हो तो मुनासिब है
दो दिलों के बीच इक दीवार लिख देना

मुफ़लिसों के वास्ते तो एक जैसा है
सोग लिख दो चाहे तुम त्यौहार लिख देना

फिर अना के चीथड़े बिखरे हैं सड़कों पर
इस लहू से कल का फिर अख़बार लिख देना

रात आधी चाँद पूरा ख्वाहिशें और तुम
मेरे बिन कैसे हो बस इक बार लिख देना

ऐ ख़ुदा! क्या तू बनाकर भूल जाता है?
पेट दिया तो दाने भी दो चार लिख देना

मेरी आदत हो गई है शायरी में अब
दिल को अपने आपका दरबार लिख देना